दर्शनशास्त्र समानता

समता ही साम्य है?

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समता ही साम्य है?

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नहीं, समता (Equality) और साम्य (Equity) एक ही चीज़ नहीं हैं, बल्कि ये दो अलग-अलग अवधारणाएँ हैं जिनके उद्देश्य समान हो सकते हैं।

  • समता (Equality):

    समता का अर्थ है कि सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाए और उन्हें समान संसाधन या अवसर प्रदान किए जाएँ, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या ज़रूरतें कुछ भी हों।

    उदाहरण के लिए, यदि सभी बच्चों को एक ही आकार के जूते दिए जाएँ, तो यह समता है। लेकिन जिन बच्चों के पैर छोटे या बड़े हैं, उनके लिए यह उचित नहीं होगा।

  • साम्य (Equity):

    साम्य का अर्थ है कि व्यक्तियों की विशिष्ट ज़रूरतों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें संसाधन या अवसर प्रदान किए जाएँ, ताकि वे सभी एक समान परिणाम प्राप्त कर सकें। इसका लक्ष्य निष्पक्षता (fairness) स्थापित करना है।

    उदाहरण के लिए, यदि हर बच्चे को उसके पैर के आकार के अनुसार सही जूते दिए जाएँ, ताकि सभी आराम से चल सकें, तो यह साम्य है। एक और प्रसिद्ध उदाहरण है जहाँ लोगों को बाड़ के ऊपर देखने के लिए अलग-अलग ऊँचाई के बक्से दिए जाते हैं ताकि सभी को बाड़ के ऊपर देखने का समान अवसर मिले।

संक्षेप में:

  • समता "एक ही इलाज" (same treatment) पर केंद्रित है।
  • साम्य "आवश्यकतानुसार इलाज" (treatment according to need) पर केंद्रित है ताकि अंतिम परिणाम निष्पक्ष हो।

साम्य अक्सर समता की ओर ले जाता है, क्योंकि जब सभी को उनकी ज़रूरत के हिसाब से समर्थन मिलता है, तो वे समान शुरुआती बिंदु पर आ सकते हैं और समान अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।

Wrote answer · 11/18/2025
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